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कैंची धाम आश्रम: इतिहास, मान्यता और इसके बारे में मेरी कहानी।

 

लोग कैंचीधाम क्यों जाते हैं?

 

इस ब्लॉग में मैं अपने अनुभव के माध्यम से ही इस प्रश्न का उत्तर दूंगा। वह यह है कि भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए कैंचीधाम में नीम करोली बाबा जी के मंदिर में जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब नीम करोली बाबा जीवित थे तो उन्होंने अपनी शक्ति या भगवान के आशीर्वाद से कई लोगों के दुख और समस्याओं को दूर करते थे। उनकी शक्ति को देखकर लोग अपनी समस्याएं उनके पास लेकर जाते हैं ताकि वे उनका समाधान कर सकें।

अब उनकी मृत्यु के बाद भी कई लोग उनके आश्रम में आते हैं क्योंकि लोग वहां उनकी उपस्थिति को महसूस करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वहां जाने मात्र से भक्तों के सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं।

हाल ही में कई बड़ी हस्तियां भी वहां गई थीं और उन्होंने यह भी कहा था कि वहां जाने के बाद उनके जीवन में कई बड़े बदलाव आए हैं। जैसे कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स भी वहां गए थे। और उसके बाद उनके जीवन में कई बड़े बदलाव आए थे मुझे यह देखने को मिला। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करूंगा कि जब भी आपको समय मिले तो आप कैंचीधाम आश्रम में जाएं और नीम करोली बाबा जी के दर्शन करें और उनका आशीर्वाद लें।

 

कैंचीधाम का इतिहास।

 

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम आश्रम की स्थापना वर्ष 1961 में नीम करोली बाबा ने की थी। मान्यताओं के अनुसार नीम करोली बाबा को हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त था। यही कारण है कि कैंचीधाम में पूरे दिन हनुमान चालीसा का जाप किया जाता है। इस आश्रम की स्थापना नीम करोली बाबा ने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर 15 जून 1964 को की थी। इस आश्रम की स्थापना नीम करोली बाबा ने की थी। हर साल कई भक्त इस दिन आश्रम का स्थापना दिवस मनाते हैं और प्रसाद में मालपुए बनाते हैं।

कैंची धाम आश्रम: इतिहास, मान्यता और इसके बारे में मेरी कहानी।
नीम करोली बाबा

 

 

दिल्ली से कैंची धाम आश्रम तक कैसे पहुंचे।

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन => काठगोदाम => कैंची धाम आश्रम।

 

कैंची धाम आश्रम: इतिहास, मान्यता और इसके बारे में मेरी कहानी।
कैंची धाम आश्रम

 

मेरी कैंचीधाम जाने की यात्रा व अनुभव।

 

आज इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आप सभी को अपने नीम करोली बाबा और उनके आश्रम कैंचीधाम के बारे में बताना चाहूँगा। जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। तो मेरी यात्रा नोएडा के बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन से शुरू होती है। मैं शुक्रवार शाम को मेट्रो में सवार हुआ और लगभग 45 मिनट से 1 घंटे में चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन पहुँच गया। बाकी 1.5 किलोमीटर ऑटो से तय किया और रात 8 बजे दिल्ली के पुराने रेलवे स्टेशन पर पहुँचा और मेरी ट्रेन रात 8:30 बजे थी।

ट्रेन का इंतज़ार करते हुए मैंने अपने लिए कुछ स्नैक्स खरीदने लगा। ताकि अगर रात्रि में अगर मुझे भूख लगे तो मैं उन्हें खा सकू।तो ट्रेन थोड़ी लेट थी और रात को 9:50 पर आई और बजरंगबली का नाम लेते हुए हमने भजन गाते हुए और भगवान का नाम लेते हुए अपनी यात्रा शुरू की। हम रात को 11 बजे सो गए और सुबह 5:30 बजे उठ गए क्योंकि हमें पता था कि हम सुबह 6:00 बजे के करीब काठगोदाम पहुंच गए।

 

काठगोदाम आने के बाद।

वहां पहुंचकर हमने एक टैक्सी ली और वो टैक्सी हमें सीधा कैंची धाम आश्रम ले गई। वहां जाकर हमने कुछ देर एक होटल में रुकने का फैसला किया क्योंकि हम बिना नहाए बाबा जी के मंदिर नहीं जाना चाहते थे। तो करीब 2 घंटे आराम करने और फ्रेश होने के बाद हम सब नीम करोली बाबा जी के आश्रम के लिए निकल पड़े और हमारे होटल से वो आश्रम लगभग 400-500 मीटर दूर था इसलिए हम दर्शन करने के लिए पैदल ही निकल पड़े और फिर कुछ 10-15 मिनट में हम बाबा जी के आश्रम पहुंच गए। वहा पहुंचते ही हमें पता चला कि हमें आरती का समय नहीं पता था जो कि सुबह 7:20 बजे शुरू होती है।

तो इस वजह से हम आरती में शामिल नहीं हो सके।  फिर भी हम दर्शन करने के लिए अंदर गए और हमें अपना कैमरा और अन्य सामान बाहर रखना पड़ा क्योंकि हमें अंदर फोटो लेने या सामग्री बनाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए बाद में हम दर्शन करने के बाद बाहर आए और कैंची धाम आश्रम की कुछ और तस्वीरें लीं बाहर से और फिर हम अपने होटल में वापस आ गए क्योंकि हमने अगले दिन यानी रविवार के लिए अपनी ट्रेन की टिकटें बुक करी हुई थी। इसलिए हमने एक दिन के लिए क्षेत्र को थोड़ा एक्सप्लोर करने का फैसला किया। फिर हम सभी अगले दिन नोएडा के लिए रवाना हो गए।

 

 

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